रहती थी तुम जहाँ हमेशा...वो संसार अभी तक बाकी है !
टूट गया है दिल मेरा पर...प्यार अभी तक बाकी है !
खो गए हैं सारे रिश्ते...दुनिया की रुसवाई में !
दर्द हीं दर्द बाकी है बस अब...उन रिश्तों की परछाई में !
पर दुनिया के इस कोलाहल में...मेरी पुकार अभी तक बाकी है !
टूट गया है दिल मेरा पर...प्यार अभी तक बाकी है !
मानते हैं सब चलती दुनिया...प्रेम की हीं बुनियाद पर !
फिर क्यूँ उठती हैं कई उंगलियाँ...हर शिरी और फरहाद पर !
उनके हीं कदमो के नक़्शे...दो-चार अभी तक बाकी हैं !
टूट गया है दिल मेरा पर...प्यार अभी तक बाकी है!!
अपनों के हीं हाथों देखो...कितने हम मजबूर हुए !
हाथ पकड़ के चलते-चलते...एक-दूजे से दूर हुए !
जीत गए हैं दुनियावाले...पर मेरी हार अभी तक बाकी है !
टूट गया है दिल मेरा पर...प्यार अभी तक बाकी है !
तुम छुट गयी...हम लूट गए !
प्रेम के सब बंधन टूट गए !
सपन सजाते आँखों में हीं....!
सपनो के दर्पण टूट गए !
पर उस टूटे दर्पण में भी...तेरा दीदार अभी तक बाकी है !
टूट गया है दिल मेरा पर....प्यार अभी तक बाकी है !!
bahut khoob...
ReplyDeleteप्रशंसनीय प्रस्तुति.
ReplyDeleteविशेष:
"जीत गए हैं दुनियावाले...पर मेरी हार अभी तक बाकी है !"