Wednesday, December 16, 2009

प्यार अभी तक बाकी है !!

रहती थी तुम जहाँ हमेशा...वो संसार अभी तक बाकी है !
टूट गया है दिल मेरा पर...प्यार अभी तक बाकी है !

खो गए हैं सारे रिश्ते...दुनिया की रुसवाई में !
दर्द हीं दर्द  बाकी है बस अब...उन रिश्तों की परछाई में !
पर दुनिया के इस कोलाहल में...मेरी पुकार अभी तक बाकी है !
टूट गया है दिल मेरा पर...प्यार अभी तक बाकी है !

मानते हैं सब चलती दुनिया...प्रेम की हीं बुनियाद पर !
फिर क्यूँ उठती हैं कई उंगलियाँ...हर शिरी और फरहाद पर !
उनके हीं कदमो के नक़्शे...दो-चार अभी तक बाकी हैं !
टूट गया है दिल मेरा पर...प्यार अभी तक बाकी है!!

अपनों के हीं हाथों देखो...कितने हम मजबूर हुए !
हाथ पकड़ के चलते-चलते...एक-दूजे से दूर हुए !
जीत गए हैं दुनियावाले...पर मेरी हार अभी तक बाकी है !
टूट गया है दिल मेरा पर...प्यार अभी तक बाकी है !

तुम छुट गयी...हम लूट गए !
प्रेम के सब बंधन टूट गए !
सपन सजाते आँखों में हीं....!
सपनो के दर्पण टूट गए !
पर उस टूटे दर्पण में भी...तेरा दीदार अभी तक बाकी है !
टूट गया है दिल मेरा पर....प्यार अभी तक बाकी है !!

2 comments:

  1. प्रशंसनीय प्रस्तुति.
    विशेष:
    "जीत गए हैं दुनियावाले...पर मेरी हार अभी तक बाकी है !"

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