Wednesday, December 9, 2009

कितने पास हो तुम दिल के, हाँ मैंने अब जाना है !!

जब होऊं अकेले कमरे में तो, आँखें झपक सी जाती हैं !
तेरी यादें, सपनो में आके,तेरा हिन् अक्स दिखाती हैं!
मिलना अपना शायद वक़्त का, कोई हसीं बहाना है !
कितने पास हो तुम दिल के, हाँ मैंने अब जाना है !

जब बात-बात में लड़कर मुझसे, दूर कहीं खो जाती हो !
जब दूरियों के धुंध में छिप कर, एक अजनबी हो जाती हो !
पर कैसे रहूँ अलग उस से मैं, जिसका सपनो तक में आना-जाना है !
कितने पास हो तुम दिल के,हाँ मैंने अब जाना है !

चलो चलें एक नए सफ़र पर, जहाँ ना शिकवे हो, ना ताने हो !
प्रेम का सागर रहे दिलों में, और सिर्फ मिलन के गाने हो !
मंजिल क्या है, किसे है खबर, बस हमको चलते जाना है !
कितने पास हो तुम दिल के, हाँ मैंने अब जाना है !

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