वो प्यार का बंधन, दो लफ़्ज़ों का वो नाता !
तुम्हारे साँसों कि खुशबू, आँचल वो लहराता !
तुम्हारे साथ ये सारे तराने छोड़ आया हूँ !
वो रोज़ का झगडा, तेरा वो रूठ के जाना !
वो रूठना-मानना, तेरा धीमे से मुस्काना !
तेरे हर फ़साने से अब मुंह मोड़ आया हूँ !
पर तुम याद आओगी हमेशा, जानता था दिल !
इसलिए दूरियों के दीवारों में दरारें, छोड़ आया हूँ !
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