Wednesday, December 9, 2009

संवेदना !!

छिटकी चांदनी और आकाश में,तारे टिमटिमाये थे !
और इस मस्त फिजा में जब वो, पास हमारे आये थे !
ढलक गया था आँचल उसका,जब पत्ते सरसराये थे !
सिमट गयी थी बांहों में वो,जब बदल टकराए थे !
सिहर उठे थे रोम-रोम तन के,जब होंठ से होंठ टकराए थे !
छिटक गयी थी दूर वो मुझसे,होश में जब हम आये थे !

क्यूँ बन गए आज अफ़साने,पल जो हमने संग बिताये थे !
क्यूँ टुटा है बस वहीँ एक रिश्ता,जो हम दोनों ने निभाए थे !
है गुनाह इश्क जो अब भी जग में, तो क्यूँ कृष्ण को भगवन बनाये थे !
जो सीख सके ना प्यार बाँटना,तो क्यूँ धरती पर आये थे !

1 comment:

  1. क्यूँ बन गए आज अफ़साने,पल जो हमने संग बिताये थे !
    क्यूँ टुटा है बस वहीँ एक रिश्ता,जो हम दोनों ने निभाए थे !
    है गुनाह इश्क जो अब भी जग में, तो क्यूँ कृष्ण को भगवन बनाये थे !
    जो सीख सके ना प्यार बाँटना,तो क्यूँ धरती पर आये थे !....

    waaaaw ..sashi ji jo maine kal sher kiya tha vo to pehle hi apke paas hai hehhehe...kal main nahi padh payi sayad .......
    bahut sunder rachnaye hai sabhi ...,....thx for coming on blog ..apki comment bhi dekhkar accha laga .....ese hi likhte rahiye best wishes

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