दूर है मुझसे, पर दिल के इतने पास क्यूँ हैं !
दोस्त तो और भी हैं, फिर तू इतनी ख़ास क्यूँ है !
सब कहते हैं. कोई नहीं तू मेरी,
फिर मुझे हर पल में तेरी तलाश क्यूँ है !
सब कहते हैं, अजनबी हैं दोनों अब तक,
फिर मेरे हर पल में तेरा एहसास क्यूँ है !
समझ नहीं पाया मैं खुद हीं अब तक,
कि दिल को तुझपे, खुद से भी ज्यादा विश्वास क्यूँ है !
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